गौ सेवा संरक्षण संवर्धन तथा शोध संस्थान


Donation 

Details of our some Gau shala

banks account for donation 

सर्वप्रथम तो आप अपने घर से, मुहल्ले से, कस्बों से, नगर से गौसेवा तथा गौ रक्षा की शुरुआत आप स्वयं करें तत्पश्चात गौशाला में दान दें तो ज्यादा प्रसन्नता होगी । 
गौ शाला में दान करने हेतु संबंधित गौ शाला की बेवसाइट की लिंक दी गई है । जिस पर क्लिक करके आप दान दे सकते है। 
 


1. Surbhi GauShala, Orchha


2. Pathmeda GauShala, राजस्थान
http://pathmedagodham.org/bank.php

3. Soorshyam GauShala
https://www.surshyam.co/copy-of-1

4. Shri Jadkhor Gaudham
  https://jadkhor.org/donate/

5. Shri Krishna GauShala, Delhi
(यह गौशाला मलूक पीठ से संबंधित नहीं है)*
http://www.shrikrishnagaushala.org/en/donate-for-cow 

टिप्पणियाँ

  1. मनुज नहीं अब मानते गो आदिक भगवान ।
    रामदास बस हो गए मान और अभिमान ।।


    बड़ी दुर्दशा गाय की गाय रही बिलखाय ।
    रामदास सेवा धरम दिन-दिन रहे नसाय ।।


    गौ माता रो-रो कहैं देखो मेरा हाल ।
    रामदास जब दूध हो तब लेते सब पाल ।।


    रामदास जब दूध नहिं दूर करैं ततकाल ।
    जाऊँ तो जाऊँ कहाँ देते लोग निकाल ।।


    पीने को नहिं जल मिलै चरने को नहिं घास ।
    रामदास भरे नयन जल कहती गाय निरास ।।


    रामदास बिनु ठौर के रहूँ जाय किस ओर ।
    जंगल भी अपना लिए गोचर भू बरजोर ।।


    धरम बिरोधी गाय के बसे नहीं किस ठोर ।
    रामदास अब गोकसी रात-दिवस चहुँ ओर ।।


    दया धरम सुनते नहीं खल देते हैं काट ।
    रामदास रो-रो लखैं राम कृष्ण की बाट ।।


    अजा सरिस गति गाय की अब वरनी नहि जाय ।
    रामदास कहते कई भेद नहीं दिखलाय ।।


    भारत जैसे देश में गोवध बड़ा कलंक ।
    रामदास मिटते मिटै भारत भाल कुअंक ।।

    राम कृष्ण की पूज्य है ग्रंथ रहे सब गाय ।
    रामदास महिमा अमित गाय गए जग जाय ।।


    ।। जय श्रीसीताराम ।।

    जवाब देंहटाएं
  2. रो-रो कहती गाय बेचारी देखो मेरा हाल ।
    दूध रहे जब पास हमारे हर कोई लेता पाल ।।
    दूध नहीं तो कहते इसको दूर करो तत्काल ।
    कहाँ मैं जाऊँ क्या मैं खाऊँ देते मुझे निकाल ?

    चरने को है घास नहीं न पीने को ही जल ।
    रहने को भी ठौर नहीं दुनिया गयी बदल ।।
    दया धरम सब कल की बातें दिन-दिन बाढ़ें खल ।।
    माँस भी मेरा जो खा जाएँ कर दें मेरा कतल ।।

    राम कृष्ण की पूज्या जो, जग की माता कहलाई ।
    घर कर बैठे देव देंह में, गोमय में लक्ष्मी आई ।।
    मूत्र में गंगा वसती जिसके वेदों ने महिमा गाई ।
    जग का मूल सूल हरती जो रोती है गैया माई ।।

    नदी बहुत पर नदी नही जिमि, गंगा है गंगा माई ।
    वानर बहुत नहीं वानर ज्यों, बजरंगबली हैं कपिराई ।।
    पौधे बहुत नहीं पौधा जिमि, तुलसी है तुलसी माई ।
    ऐसे ही गैया मैया है, पशु न इन्हें समझो भाई ।।


    वृक्ष अनेकों पीपल महिमा गीता में हरि ने गाई ।
    पाथर जहँ तहँ पड़े अनेकों शालिग्राम जन सुखदाई ।।
    देश अनेकों दुनिया में ज्यों भारत भू नहि है माई ।
    ऐसे ही गैया मैया है, पशु न इन्हें समझों भाई ।।


    सत्य सनातन धरम हमारा गैया को कहता माई ।
    पशु कहने वाले गोमर हैं, ऐसा ही समझो भाई ।।
    गो हित आए राम धरा पे कृष्ण चराए वन-वन गाई ।
    जग जीवन गैया मैया से गाय गए दुनिया जाई ।।


    ।। जय श्रीसीताराम ।।

    जवाब देंहटाएं

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