गौ सेवा संरक्षण संवर्धन तथा शोध संस्थान
Donation
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सर्वप्रथम तो आप अपने घर से, मुहल्ले से, कस्बों से, नगर से गौसेवा तथा गौ रक्षा की शुरुआत आप स्वयं करें तत्पश्चात गौशाला में दान दें तो ज्यादा प्रसन्नता होगी ।
गौ शाला में दान करने हेतु संबंधित गौ शाला की बेवसाइट की लिंक दी गई है । जिस पर क्लिक करके आप दान दे सकते है।
4. Shri Jadkhor Gaudham
https://jadkhor.org/donate/
5. Shri Krishna GauShala, Delhi
(यह गौशाला मलूक पीठ से संबंधित नहीं है)*
http://www.shrikrishnagaushala.org/en/donate-for-cow
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5. Shri Krishna GauShala, Delhi
(यह गौशाला मलूक पीठ से संबंधित नहीं है)*
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मनुज नहीं अब मानते गो आदिक भगवान ।
जवाब देंहटाएंरामदास बस हो गए मान और अभिमान ।।
बड़ी दुर्दशा गाय की गाय रही बिलखाय ।
रामदास सेवा धरम दिन-दिन रहे नसाय ।।
गौ माता रो-रो कहैं देखो मेरा हाल ।
रामदास जब दूध हो तब लेते सब पाल ।।
रामदास जब दूध नहिं दूर करैं ततकाल ।
जाऊँ तो जाऊँ कहाँ देते लोग निकाल ।।
पीने को नहिं जल मिलै चरने को नहिं घास ।
रामदास भरे नयन जल कहती गाय निरास ।।
रामदास बिनु ठौर के रहूँ जाय किस ओर ।
जंगल भी अपना लिए गोचर भू बरजोर ।।
धरम बिरोधी गाय के बसे नहीं किस ठोर ।
रामदास अब गोकसी रात-दिवस चहुँ ओर ।।
दया धरम सुनते नहीं खल देते हैं काट ।
रामदास रो-रो लखैं राम कृष्ण की बाट ।।
अजा सरिस गति गाय की अब वरनी नहि जाय ।
रामदास कहते कई भेद नहीं दिखलाय ।।
भारत जैसे देश में गोवध बड़ा कलंक ।
रामदास मिटते मिटै भारत भाल कुअंक ।।
राम कृष्ण की पूज्य है ग्रंथ रहे सब गाय ।
रामदास महिमा अमित गाय गए जग जाय ।।
।। जय श्रीसीताराम ।।
रो-रो कहती गाय बेचारी देखो मेरा हाल ।
जवाब देंहटाएंदूध रहे जब पास हमारे हर कोई लेता पाल ।।
दूध नहीं तो कहते इसको दूर करो तत्काल ।
कहाँ मैं जाऊँ क्या मैं खाऊँ देते मुझे निकाल ?
चरने को है घास नहीं न पीने को ही जल ।
रहने को भी ठौर नहीं दुनिया गयी बदल ।।
दया धरम सब कल की बातें दिन-दिन बाढ़ें खल ।।
माँस भी मेरा जो खा जाएँ कर दें मेरा कतल ।।
राम कृष्ण की पूज्या जो, जग की माता कहलाई ।
घर कर बैठे देव देंह में, गोमय में लक्ष्मी आई ।।
मूत्र में गंगा वसती जिसके वेदों ने महिमा गाई ।
जग का मूल सूल हरती जो रोती है गैया माई ।।
नदी बहुत पर नदी नही जिमि, गंगा है गंगा माई ।
वानर बहुत नहीं वानर ज्यों, बजरंगबली हैं कपिराई ।।
पौधे बहुत नहीं पौधा जिमि, तुलसी है तुलसी माई ।
ऐसे ही गैया मैया है, पशु न इन्हें समझो भाई ।।
वृक्ष अनेकों पीपल महिमा गीता में हरि ने गाई ।
पाथर जहँ तहँ पड़े अनेकों शालिग्राम जन सुखदाई ।।
देश अनेकों दुनिया में ज्यों भारत भू नहि है माई ।
ऐसे ही गैया मैया है, पशु न इन्हें समझों भाई ।।
सत्य सनातन धरम हमारा गैया को कहता माई ।
पशु कहने वाले गोमर हैं, ऐसा ही समझो भाई ।।
गो हित आए राम धरा पे कृष्ण चराए वन-वन गाई ।
जग जीवन गैया मैया से गाय गए दुनिया जाई ।।
।। जय श्रीसीताराम ।।